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#566 परमेश्वर का स्वयं अस्तित्व मनगढ़ंत है?

June 27, 2020
Q

डॉ क्रेग। डिफेंडिंग योर फेथ की श्रृंखला के लिए धन्यवाद, जिसे मैं देख रहा हूं। हाल ही के लेक्चर में, परमेश्वर के सिद्धांत पर एक व्याख्यान के दौरान, आपने असमानता के बारे में बात की थी। मैंने वैज्ञानिक अवधारणा से पहले इस अवधारणा के प्रमाण खोजने की कोशिश की है कि ब्रह्मांड का एक प्रारंभिक बिंदु है, जिससे परमेश्वर के पूर्व-अस्तित्व के बारे में सवाल उठता है। आस्तिक कहते हैं कि परमेश्वर का स्वयं अस्तित्व है और उसे बनाया नहीं जा सकता। लेकिन क्या यह सिर्फ नास्तिकों द्वारा उठाए गए एक कठिन समस्या को समझाने के लिए मानव निर्मित निर्माण है, अर्थात् यदि परमेश्वर ने ब्रह्मांड बनाया, तो परमेश्वर को किसने बनाया? बाइबल का सहारा लिए बिना साधक (खोजी) इस अवधारणा में कैसे विश्वास कर सकते हैं?
राल्फ़

 

United Kingdom

Dr. Craig

Dr. craig’s response


A

ओह, हे प्रभु, राल्फ़, आप ज़रूर सभी गलत स्थानों में देख रहे होंगे! दिव्य असमानता की अवधारणा के लिए प्रचुर मात्रा में बाइबिल और चर्च-धर्मशास्त्र गवाही के लिए आपको मेरे गॉड ओवर ऑल (2016) के अध्याय 2 से आगे जाने की आवश्यकता नहीं है। न केवल बाइबल के लेखक परमेश्वर की एकमात्र परम वास्तविकता होने की पुष्टि करते हैं, बल्कि खुद से अलग सभी चीजों के निर्माता हैं, लेकिन चर्च के पिता (फ़ादर) ने परमेश्वर को सोल एग्निटोस (जो उत्पन्न नही हो सकता) ठहराया। 1920 के दशक में बिग बैंग कॉस्मोलॉजी (और इस पर प्रतिक्रिया के रूप में) के आगमन तक दिव्य असमानता की अवधारणा मौजूद नहीं थी।
दिव्य असमानता का सिद्धांत "नास्तिकों द्वारा उठाए गए एक कठिन समस्या को समझाने के लिए केवल एक मानव निर्मित निर्माण नहीं है, अर्थात् यदि परमेश्वर ने ब्रह्मांड बनाया, तो परमेश्वर को किसने बनाया?" पहली बात, यह एक कठिन समस्या नहीं है। अगर कारणों से ही चीजों का अस्तित्व स्पष्ट होना चाहिए, तो क्यों वो उसको स्पष्ट करे जो कभी अस्तित्व में आयीं नहीं, वह अनन्त है? वास्तव में, कैसे संभव है उसके होने का कारण जो अनन्त काल से है? दूसरा, मुझे लगता है कि आप पहली बात से देख सकते हैं कि दिव्य असमानता तस्वीर तक में नहीं आती है। प्रश्न के साथ परमेश्वर की अनंतता दूर हो जाती है। दिव्य असमानता की कोई अपील बिल्कुल भी नहीं की जानी चाहिए। और, ज़ाहिर है, यह शायद ही कहने की जरूरत है कि दिव्य अनंत काल एक प्राचीन बाइबिल सिद्धांत है जो नास्तिकता के उदय होने के पहले से है। 
यह भी कहा जाना चाहिए कि एक सिद्धांत जो किसी समस्या का समाधान प्रदान करने के प्रयास में उत्पन्न होता है, उसे "बस एक मानव निर्मित निर्माण" नहीं दिखाया जाता है, जिसमें किसी भी उद्देश्य वास्तविकता का अभाव होता है। इससे कभी भी किसी समस्या का कोई नया समाधान खोज पाना असंभव हो जाएगा, जो विज्ञान के साथ-साथ फ़िलासफ़ी (दर्शन) को भी एक ठहराव की ओर ले जाएगा। बेशक, हम चाहते हैं कि हमारे नए, प्रस्तावित समाधान तदर्थ के अनुरूप न हों और सबूतों के अनुरूप हों, लेकिन वह ठीक है। हम सिर्फ एक नई जानकारी को खारिज नहीं करना चाहते हैं क्योंकि यह एक कथित कठिनाई के जवाब में प्रस्तावित है। इस तरह से विज्ञान अक्सर आगे बढ़ता है।
आपका अंतिम प्रश्न, "बाइबल का सहारा लिए बिना साधक (खोजी) इस अवधारणा में कैसे विश्वास कर सकते हैं? अजीब लगता है। अब तक आपके प्रश्न की चिंता यह थी कि क्या इस खोज के जवाब में दिव्य असमानता की अवधारणा एक आधुनिक मनगढ़ंत कहानी थी जो ब्रह्मांड की शुरुआत थी। इस तरह के आरोप की मूर्खता दिखाने का सबसे अच्छा तरीका है इसको प्राचीन बाइबिल सिद्धांत की जड़ो कि ओर ले जाना जो आधुनिक विज्ञान के आगमन के पहले से है। लेकिन अगर आप दैवीय असमानता की पुष्टि के लिए शक्तिशाली दार्शनिक-मनोवैज्ञानिक कारणों की तलाश कर रहे हैं, तो ऊपर वर्णित गॉड ओवर ऑल अध्याय का अंतिम भाग देखें।
 

- William Lane Craig